वायदा और विकल्प ट्रेडिंग में अंतर

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वित्तीय दुनिया में निवेश से लेकर जोखिम प्रबंधन तक, वायदा और विकल्प ट्रेडिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, दोनों अनुबंध प्रकारों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं जिन्हें निवेशकों को सूचित निर्णय लेने के लिए समझना आवश्यक है।

वायदा अनुबंध

वायदा अनुबंध बाध्यकारी समझौते हैं जो भविष्य में एक विशिष्ट मूल्य पर किसी परिसंपत्ति की खरीद या बिक्री करने के लिए दो पक्षों के बीच किए जाते हैं। अनुबंध की शर्तों में परिसंपत्ति की मात्रा, मूल्य और डिलीवरी की तिथि शामिल होती है। वायदा अनुबंध का मूल उद्देश्य भविष्य की कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करना और स्थिरता प्रदान करना है।

विकल्प अनुबंध

दूसरी ओर, विकल्प अनुबंध एक खरीदार (कॉल ऑप्शन) या विक्रेता (पुट ऑप्शन) को एक विशिष्ट तारीख को एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर किसी परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार, लेकिन दायित्व नहीं देता है। खरीदार को इस अधिकार के बदले में एक प्रीमियम का भुगतान करना होता है, जो कि विकल्प अनुबंध का मूल्य होता है।

प्रमुख अंतर

1. दायित्व: वायदा अनुबंध बाध्यकारी होते हैं, जबकि विकल्प अनुबंध केवल अधिकार प्रदान करते हैं।

2. लचीलापन: वायदा अनुबंधों में डिलीवरी की तिथि और मूल्य तय होते हैं, जबकि विकल्प अनुबंध खरीदार को अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं कि वे अनुबंध की शर्तों का उपयोग करेंगे या नहीं।

3. जोखिम: वायदा अनुबंध अधिक जोखिम भरे होते हैं क्योंकि वे बाध्यकारी होते हैं, जबकि विकल्प अनुबंध अधिक सीमित जोखिम प्रदान करते हैं क्योंकि वे केवल अधिकार प्रदान करते हैं।

4. उद्देश्य: वायदा अनुबंध का उपयोग मुख्य रूप से जोखिम प्रबंधन के लिए किया जाता है, जबकि विकल्प अनुबंध का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे आश्रय, लाभ और अटकलों के लिए किया जाता है।

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5. कीमत: वायदा अनुबंध की कीमत परिसंपत्ति की कीमत पर आधारित होती है, जबकि विकल्प अनुबंध की कीमत परिसंपत्ति की कीमत, विकल्प की प्रीमियम और समाप्ति तिथि पर आधारित होती है।

वायदा और विकल्प ट्रेडिंग की रणनीतियों

वायदा और विकल्प ट्रेडिंग में विभिन्न प्रकार की रणनीतियाँ शामिल हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • हेजिंग: जोखिम को कम करने के लिए वायदा या विकल्प का उपयोग करना।
  • सट्टा: भविष्य की कीमतों में उतार-चढ़ाव से लाभ प्राप्त करने के लिए वायदा या विकल्प का उपयोग करना।
  • आर्बिट्रेज: एक ही परिसंपत्ति को अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग कीमतों पर खरीदने और बेचने से लाभ प्राप्त करना।
  • स्प्रेड ट्रेडिंग: एक साथ कई वायदा या विकल्प अनुबंधों का उपयोग करके एक जटिल स्थिति बनाना।

निष्कर्ष

वायदा और विकल्प ट्रेडिंग वित्तीय बाजारों के महत्वपूर्ण पहलू हैं। दोनों अनुबंध प्रकारों के बीच के अंतर को समझने से निवेशकों को जोखिम प्रबंधन, आश्रय और संभावित लाभों के लिए इन शक्तिशाली उपकरणों का उपयोग करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वायदा और विकल्प ट्रेडिंग महत्वपूर्ण जोखिम उठाते हैं और निवेशकों को निवेश करने से पहले अपने लक्ष्यों, समय सीमा और जोखिम सहनशीलता पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।

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