परिचय
भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में वर्ष 2009 का शेयर बाजार घोटाला एक काले अध्याय के तौर पर दर्ज है। इस घोटाले ने शेयर बाजार में निवेशकों के विश्वास को हिला कर रख दिया था। इस घोटाले का मास्टरमाइंड ओम प्रकाश गुप्ता था, जो एक प्रतिष्ठित शेयर बाजार निवेशक और दलाल था। गुप्ता पर 300 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी करने का आरोप था, जिससे बाजार में अफरा-तफरी मच गई।

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यह घोटाला ऑप्शन ट्रेडिंग से संबंधित था, जिसकी मदद से निवेशक शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं। गुप्ता और उनके सहयोगियों ने फर्जी ट्रेड करके कृत्रिम रूप से शेयर की कीमतों को ऊपर चढ़ाने का प्रयास किया। इसके बाद, उन्होंने शेयर की कीमतों में गिरावट आने पर इन्हें बेचकर बड़ा मुनाफा कमाया।
घोटाले का खुलासा
यह घोटाला तब सामने आया जब बाजार नियामक SEBI को बड़े पैमाने पर असामान्य ट्रेडिंग गतिविधियों के बारे में शिकायतें मिलीं। SEBI ने तुरंत जांच शुरू की और उसने पाया कि गुप्ता और उनके सहयोगी फर्जी ट्रेडिंग और कृत्रिम मूल्य निर्धारण जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल थे।
SEBI ने गुप्ता और उनके साथियों के खिलाफ कई आरोप दायर किए, जिसमें धोखाधड़ी, हेराफेरी और विश्वास का उल्लंघन शामिल थे। गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
घोटाले का प्रभाव
शेयर बाजार घोटाले का शेयर बाजार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा। शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई और निवेशकों का अरबों रुपये का नुकसान हुआ। घोटाले ने निवेशकों के विश्वास को भी हिला कर रख दिया और बाजार में अस्थिरता पैदा हो गई।
घोटाले के बाद, SEBI ने शेयर बाजार में नियमों और विनियमों को सख्त करने के लिए कई कदम उठाए। इन कदमों में बढ़ी हुई निगरानी, सख्त दंड और निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय शामिल थे।
ओम प्रकाश गुप्ता
ओम प्रकाश गुप्ता एक प्रतिष्ठित शेयर बाजार निवेशक और दलाल था। वह 1980 के दशक में शेयर बाजार में प्रवेश किया था और जल्द ही वह अपनी व्यापारिक रणनीतियों के लिए जाना जाने लगा। गुप्ता के कई बड़े कॉर्पोरेट घरानों और राजनेताओं से करीबी संबंध थे।
शेयर बाजार घोटाले में गुप्ता की संलिप्तता ने उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और वह कई वर्षों तक जेल में रहे। जमानत पर रिहा होने के बाद, गुप्ता ने शेयर बाजार से दूरी बना ली।

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विवाद और आलोचना
शेयर बाजार घोटाले में SEBI की भूमिका को लेकर विवाद और आलोचना की गई। कुछ आलोचकों ने आरोप लगाया कि SEBI घोटाले को रोकने में विफल रही और उसे तुरंत कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी। SEBI ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उसने घोटाले को तब सामने लाया जब उसे इसकी सूचना मिली।
इस बात पर भी आलोचना हुई कि सरकार ने घोटाले से निपटने में सुस्ती दिखाई। कुछ आलोचकों ने आरोप लगाया कि सरकार गुप्ता के प्रभावशाली संपर्कों के कारण उसे बचाने की कोशिश कर रही थी। सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उसने SEBI को घोटाले की जांच करने और उचित कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी।
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निष्कर्ष
शेयर बाजार घोटाला 2009 एक गंभीर घटना थी जिसने शेयर बाजार में निवेशकों के विश्वास को हिला कर रख दिया था। घोटाले ने शेयर बाज़ार में नियमों और विनियमों को सख्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और साथ ही निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग की। घोटाले को लेकर SEBI और सरकार की भूमिका पर विवाद और आलोचना हुई, लेकिन दोनों ने इन आरोपों से इनकार किया है।