आज के तकनीकी युग में, वित्तीय बाजारों में निवेश करने के ढेरों विकल्प मौजूद हैं। इनमें से एक भावी वायदा कारोबार है, जो रिटर्न और जोखिम दोनों ही मामलों में एक आकर्षक निवेश अवसर प्रदान करता है। यदि आप भावी वायदा कारोबार की दुनिया में कदम रखने पर विचार कर रहे हैं, तो यह लेख आपको आरंभ करने के लिए आवश्यक मूलभूत जानकारी प्रदान करेगा।

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भावी वायदा कारोबार क्या है?
भावी वायदा कारोबार किसी वस्तु, मुद्रा या सूचकांक को भविष्य में एक निश्चित मूल्य पर खरीदने या बेचने के लिए एक अनुबंध है। यह अनुबंध दो पक्षों, खरीदार और विक्रेता के बीच होता है। निर्धारित तिथि को, खरीदार को वस्तु खरीदनी होगी और विक्रेता को वस्तु बेचनी होगी, चाहे बाजार मूल्य कुछ भी हो।
भावी वायदा कारोबार के प्रकार
भावी वायदा कारोबार को दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है:
- दीर्घकालिक भावी अनुबंध: ये ऐसे अनुबंध होते हैं जिनकी समाप्ति तिथि एक वर्ष से अधिक होती है। बाजार में जोखिम कम करने और धन में वृद्धि के लिए दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- अल्पकालिक भावी अनुबंध: ये ऐसे अनुबंध होते हैं जिनकी समाप्ति तिथि एक वर्ष या उससे कम होती है। वे अधिक अटकलबाजों और व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाते हैं जो अल्पकालिक मूल्य変動ों से मुनाफा कमाना चाहते हैं।
भावी वायदा कारोबार के लाभ
भावी वायदा कारोबार कई लाभ प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:
- हेजिंग: भावी वायदा का उपयोग जोखिमों से बचाव करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से संभावित नुकसान।
- आय का सृजन: भावी वायदा मूल्य変動ों पर अनुमान लगाकर आय उत्पन्न करने के अवसर प्रदान करता है।
- लेवरेज: भावी वायदा व्यापारियों को अनुबंध के मूल्य के एक अंश का भुगतान करके बड़े स्थिति में भाग लेने की अनुमति देता है, जिससे उनकी आय क्षमता बढ़ जाती है।
- नقدशक्ति: भावी वायदा बाजार अत्यधिक तरल होते हैं, जिसका अर्थ है कि व्यापारी अपनी स्थिति में आसानी से प्रवेश और निकास कर सकते हैं।
भावी वायदा कारोबार के जोखिम
भावी वायदा कारोबार भी कुछ जोखिमों से जुड़ा हुआ है, जिनमें शामिल हैं:
- मूल्य उतार-चढ़ाव: भावी वायदा अनुबंधों के मूल्य बाजार की स्थितियों के आधार पर काफी उतार-चढ़ाव कर सकते हैं। इससे व्यापारियों के लिए बड़े नुकसान हो सकते हैं।
- मार्जिन कॉल: भावी वायदा में लेवरेज का उपयोग करने पर, व्यापारियों को मार्जिन पोस्ट करना होता है, जो एक जमानत राशि होती है। यदि अनुबंध का मूल्य व्यापारी के प्रतिकूल हो जाता है, तो उन्हें मार्जिन कॉल मिल सकता है, जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त मार्जिन पोस्ट करने की आवश्यकता हो सकती है या अपनी स्थिति को बंद करने की आवश्यकता हो सकती है।
- परिसमापन जोखिम: यदि एक व्यापारी मार्जिन कॉल को पूरा करने में विफल रहता है, तो उनकी स्थिति परिसमापन के अधीन हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है।
भावी वायदा कारोबार शुरू करने के लिए:
जिन लोगों को लगता है कि उनके पास इसमें डूबने का जोखिम है, उनके लिए भावी वायदा कारोबार शुरू करना काफी सरल है। निम्नलिखित कदम उठाकर आप आरंभ कर सकते हैं:
- एक प्रतिष्ठित ब्रोकर चुनें: एक भरोसेमंद ब्रोकर खोजें जो भावी वायदा कारोबार में विशेषज्ञता रखता हो।
- मूलभूत बातों को समझें: बाजार की गतिशीलता, मूल्य निर्धारण कारकों और एटीएफ (एवरेज ट्रू रेंज) जैसे तकनीकी संकेतकों को समझें।
- डेमो खाते का अभ्यास करें: वास्तविक धन का निवेश करने से पहले डेमो खाते पर भावी वायदा कारोबार का अभ्यास करें।
- छोटे से शुरू करें: जब आप वास्तविक धन का निवेश करना शुरू करते हैं, तो छोटे से शुरू करें और धीरे-धीरे अपनी स्थिति का आकार बढ़ाएं।
- जोखिम प्रबंधन: एक ठोस जोखिम प्रबंधन रणनीति रखें, जिसमें स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करना और अपनी स्थिति के आकार को अपने जोखिम सहिष्णुता से मेल खाना शामिल है।
निष्कर्ष:
भावी वायदा कारोबार जोखिम और इनाम दोनों का मिश्रण प्रदान करता है। यदि सही तरीके से किया जाता है, तो यह निवेशकों और व्यापारियों को महत्वपूर्ण लाभ कमाने का अवसर प्रदान कर सकता है। हालांकि, भावी वायदा बाजार में प्रवेश करने से पहले मूलभूत बातों को समझना और जोखिमों को ध्यान से प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है। पर्याप्त अनुसंधान और सावधानीपूर्वक योजना द्वारा, कोई भी भावी वायदा कारोबार की दुनिया में सफल हो सकता है।

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